तमिलनाडु पुलिस ने चेन्नई में ईडी के कार्यालयों पर छापा मारा

राज्य और केंद्र सरकारों के बीच चल रहे घर्षण के बीच अभूतपूर्व कदम

29 नवंबर, 2023 को, एक नाटकीय घटनाक्रम में, तमिलनाडु पुलिस के सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने चेन्नई और मदुरै में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कार्यालयों पर छापे मारे। यह अभूतपूर्व कदम कई मुद्दों पर राज्य सरकार और केंद्र के बीच बढ़ते घर्षण के बीच आया था।

छापों की पृष्ठभूमि

ED, एक संघीय एजेंसी जो वित्तीय अपराधों की जांच करती है, तमिलनाडु में कई विवादों में उलझी रही है। एजेंसी भ्रष्टाचार, धन शोधन और अन्य अपराधों के आरोप में तमिलनाडु के कई मंत्रियों की जांच कर रही है। राज्य सरकार ने ED पर अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्र के एक उपकरण होने का आरोप लगाया है। इसने प्रक्रियागत अनियमितताओं का हवाला देते हुए ईडी के अपने अधिकारियों को सम्मन का विरोध भी किया है।तमिलनाडु पुलिस ने चेन्नई में ईडी के कार्यालयों पर छापा मारा

ईडी अधिकारी के खिलाफ रिश्वत के आरोपों ने छापेमारी की

छापों का तत्काल कारण एक ईडी अधिकारी अंकित तिवारी की गिरफ्तारी थी, उन पर डिंडिगुल में एक सरकारी डॉक्टर से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप था। तिवारी को 29 नवंबर को DVAC द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

तिवारी की गिरफ्तारी के बाद, DVAC टीम ने उनके वाहन को रोक लिया और नकदी जब्त कर ली। DVAC ने तब मदुरै में ED के सब-डिवीजनल कार्यालय में, जहां तिवारी तैनात थे, और उनके निवास पर छापे मारे।\

राज्य सरकार ने छापों का बचाव किया, केंद्र ने चिंता जताई

तमिलनाडु सरकार ने DVAC की कार्रवाइयों का बचाव करते हुए कहा है कि छापे कानून के अनुसार और विश्वसनीय सबूतों के आधार पर किए गए थे। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि राज्य सरकार “किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेगी, चाहे वह संस्था कोई भी हो।”

हालांकि, केंद्र ने छापों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें ED की जांच में बाधा बताया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छापों के पीछे तर्क पर विस्तृत रिपोर्ट तमिलनाडु सरकार से मांगी है।

छापों ने राज्य और केंद्र के बीच दरार को और गहरा कर दिया

ED के कार्यालयों पर छापों ने राज्य सरकार और केंद्र के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्ते को और खराब कर दिया है। इस घटना ने राजनीतिक हस्तक्षेप और राज्य मशीनरी के दुरुपयोग के आरोपों को फिर से उजागर कर दिया है।

छापों ने तमिलनाडु में ED की जांच के भविष्य पर भी सवाल खड़े किए हैं। राज्य प्रशासन के साथ चल रहे घर्षण से एजेंसी की राज्य में स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता बाधित हो सकती है।

छापों के निहितार्थ तमिलनाडु से आगे बढ़ते हैं

चेन्नई में ED के कार्यालयों पर छापों के निहितार्थ तमिलनाडु से परे हैं। इस घटना ने राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज में संभावित हस्तक्षेप के लिए एक मिसाल कायम की है।

इस विकास ने केंद्रीय जांचों से व्यक्तियों को बचाने के लिए राज्य की शक्ति के दुरुपयोग की भी संभावनाओं पर चिंता जताई है।

छापों के लिए कानूनी चुनौतियां

ईडी ने मद्रास हाईकोर्ट में डीवीएसी के छापों को चुनौती दी

एजेंसी ने तर्क दिया है कि छापे अवैध थे और उन्होंने स्वतंत्र रूप से कार्य करने के अपने संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया।

हाईकोर्ट ने अभी तक ईडी की याचिका पर फैसला नहीं सुनाया है। हालांकि, मामले के नतीजे का तमिलनाडु में केंद्रीय एजेंसियों के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।

निष्कर्ष

चेन्नई में ईडी के कार्यालयों पर छापों ने तमिलनाडु सरकार और केंद्र के बीच गहरे तनावों को उजागर किया है। इस घटना ने केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावनाओं के बारे में भी चिंता जताई है।

छापों के नतीजे का राज्य और उससे आगे के राजनीतिक और प्रशासनिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।

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