रूपरेखा-
Harda Blast Case : Harda में प्रोडक्शन लाइन जहां हादसा हुआ. चार लाइसेंस थे. विस्फोटक नियम 2008 के नियम 126 के अनुसार, खतरनाक सामग्री के गोदाम का निर्माण विशेष रूप से किनारे पर किया जा सकता है। बारूद को भूतल या ऊपरी मंजिल पर संग्रहित नहीं किया जा सकता था, लेकिन हरदा की फैक्ट्री इसे तहखाने में रखती थी।
विस्तार –
Harda फैक्ट्री में विस्फोट से जमीन हिली और पत्थरों की बारिश हुई। इसका मुख्य कारण यह था कि फैक्ट्री के बेसमेंट को गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। गोदाम का 1,000 किलोग्राम से अधिक बारूद का भंडार एक बड़े बम की तरह फट गया। इससे ढांचे की जमीन टूट गई। दीवारों और छतों का कूड़ा तेजी से 400 मीटर तक नीचे गिरा, जो लोगों की मौत का कारण बना।
प्रोसेसिंग प्लांट में लगी आग को बुझाने में लगे फायर ब्रिगेड के विशेषज्ञों के अनुसार फायरवर्क उत्पादन लाइन के 15 किलो मार्बल पदार्थ के लिए 25 वर्ग मीटर क्षेत्र में गोदाम होना चाहिए और वह जमीन पर होना चाहिए। फिर भी Harda के प्लांट में सेलर का उपयोग गाइडलाइन के विपरीत विस्फोटक स्टॉक रखने के लिए किया जा रहा था। गोदाम क्षेत्र में गोताखोरी कर रहे पोकलेन चालक ने बताया कि तहखाने की खुदाई में पीला मलबा साफ दिख रहा है।

बिल्डिंग में फैक्टरी नहीं चल सकती, फिर भी लाइसेंस मिलता रहता है –
वह उत्पादन लाइन जहां दुर्घटना हुई चार लाइसेंस थे । विस्फोटक नियम 2008 के नियम 126 के अनुसार, खतरनाक सामग्री के गोदाम का निर्माण विशेष रूप से किनारे पर किया जा सकता है। बारूद को भूतल या ऊपरी मंजिल पर संग्रहित नहीं किया जा सकता था, लेकिन Harda की फैक्ट्री इसे तहखाने में रखती थी।
नियमानुसार अनुशंसित दूरी के अनुसार खुले क्षेत्र में गोदाम बनाये जाने चाहिए। हर जगह खाली जगह होनी चाहिए, ताकि आग लगने की स्थिति में दमकलकर्मी हर तरफ से जा सकें। जो भी हो, Harda की उत्पादन लाइन में सिद्धांतों को जारी नहीं रखा गया। इसके बावजूद राजेश अग्रवाल को सालाना लाइसेंस नवीनीकरण मिलता है। गृह विभाग लगातार क्षेत्र संग्राहक और पुलिस प्रशासकों को आतिशबाजी प्रसंस्करण संयंत्रों और गोदामों की जांच करने के लिए पत्र जारी करता है, लेकिन साथ ही अग्रवाल की उत्पादन लाइन के संबंध में अधिकारियों का रवैया नाजुक रहा।